थमी दिल की धड़कन
आज जैसे थिरकने लगी
उन्हें देख के बरसों बाद
ज़िन्दगी जैसे चल पड़ी
झोंका हवा का ले गया उन गलियों से
जहाँ चलते थे दोनों कभी किसी वक़्त मैं
दो चुटकी पलों मैं
एक सदी जैसे बीत गयी
बातें होतीं थी कुछ कुछ
कभी बस सर्गोश्हियाँ
अब तोह कुछ नहीं दरमियाँ
सिवाय खुला आसमान...
मौसम तो बदल गए
कदम मगर वही थें
नज़रें उनपे जमी हुई
ख़ुशी रोम मैं जलती गई
होंगे वापस साथ
मन मैं वोह ऊंस था
के आँचल मैं आज
दो भीगे बादल थे
आज दिल फिर से गुनगुनाया
लफ्ज़ उसको मिल गए
कहना था बहुत कुछ
मगर...
अश्क ही कहानी बता गए...
अश्क ही कहानी बता गए...
nyc.
ReplyDeleteThanks Deepak :-)
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